The Fact About पारद शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा That No One Is Suggesting

महाशिवरात्रि पर जानिए शिव पार्वती विवाह की रोचक बातें

प्राचीन ग्रंथों में पारद शिवलिंग को स्वयं सिद्ध धातु माना गया है.

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समुद्र मंथन के दौरान उत्पन्न विष को पीकर भगवान शिव ने संसार को इसके विनाश से सुरक्षित रखा था। विष पीने से उनका कंठ नीला हो गया था, इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। विष की पीड़ा से उत्पन्न दाह को शांत करने के लिए देवताओं और ऋषियों ने शिवलिंग पर जल चढ़ाना शुरू किया था तब से यह परंपरा आज भी जारी है। शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक मानकर पूजा जाता है और इसकी पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है।

सफ़ेद कपड़े को बिछाकर पारद शिवलिंग को विराजित करना चाहिए।

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इसका अर्थ है कि करोड़ों शिवलिगों की पूजा से जो फल प्राप्त होता है। उससे भी करोड़ गुणा फल पारद शिवलिंग पूजा से मिलता है। माना जाता है इस शिवलिंग को छुने मात्र से मुक्ति प्राप्त होती है। गौहत्या का पाप भी दूर होता है।

तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशय:।।

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सुख-समृद्धि: पारद शिवलिंग की उपस्थिति से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।

स्फटिक शिवलिंग की उपस्थिति से घर में शांति और समृद्धि का वास होता है।

जिस घर में पारद का शिवलिंग होता है, उस घर में माता लक्ष्मी और कुबेर जी का वास होता है।

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